Aug 24, 2022

हथौड़ा नहीं, चाबी बनना है

------ हथौड़ा नहीं, चाबी बनना है ------ किसी गांव में एक ताले की दुकान थी। तालेवाला रोजाना अनेकों ताले तोड़ा करता और अनेकों चाबियां भी बनाया करता था। तालेवाले की दुकान में एक बच्चा भी रोज काम सीखने आया करता था। वो बच्चा रोज देखा करता था कि एक छोटी सी चाबी इतने मजबूत ताले को भी कितनी आसानी से खोल देती है। एक दिन बच्चे ने तालेवाले से पूछा- काका, हथौड़ा ज्यादा शक्तिशाली है, हथौड़े के अंदर लोहा भी ज्यादा है और आकार में भी यह चाबी से बड़ा है, लेकिन फिर भी हथौड़े से ताला तोड़ने में बहुत समय लगता है, और इतनी छोटी सी चाबी बड़ी ही आसानी से इस मजबूत ताले को कैसे खोल देती है? तालेवाले ने मुस्कुराकर बच्चे से कहा- बेटा, हथौड़े से तुम ताले पर ऊपर से प्रहार करते हो और उसे तोड़ने की कोशिश करते हो, लेकिन चाबी ताले के अंदर तक जाती है, उसके अंतर्मन को छूती है और उसके अंदर घूमकर ताले के अंतर्मन को बिना चोट किए स्पर्श करती है और फिर ताला आराम से खुल जाया करता है। ------ तात्पर्य ------ वाह! कितनी गूढ़ बात कही है। इसी प्रकार हम चाहे कितने भी शक्तिशाली क्यों ना हों या ताकतवर क्यों ना हों, लेकिन जब तक हम लोगों के दिल में नहीं उतरेंगे, उनके अंतर्मन को नहीं छुएंगे, तब तक कोई भी हमारी इज्जत नहीं करेगा और हमारी कोई परवाह नहीं करेगा। जिस प्रकार हथौड़े के प्रहार से ताला खुलता नहीं बल्कि टूट जाता है, ठीक वैसे ही अगर हम शक्ति के बल पर कुछ काम करना चाहते हैं, तो हम हर बार नाकाम और असमर्थ रहेंगे, क्योंकि शक्ति के द्वारा हम लोगों के दिलों को कभी भी नहीं छू सकते

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